Thursday, August 16, 2012
Saturday, May 12, 2012
माँ जैसा दुनिया में कुछ हो नहीं सकता
माँ, माँ रोते हुए बच्चे का खुशनुमा पलना है,
माँ, माँ मरूथल में नदी या मीठा सा झरना है,
माँ, माँ लोरी है, गीत है, प्यारी सी थाप है,
माँ, माँ पूजा की थाली है, मंत्रों का जाप है,
माँ, माँ आँखों का सिसकता हुआ किनारा है,
माँ, माँ गालों पर पप्पी है, ममता की धारा है,
माँ, माँ झुलसते दिलों में कोयल की बोली है,
माँ, माँ मेहँदी है, कुमकुम है, सिंदूर है, रोली है,
माँ, माँ कलम है, दवात है, स्याही है,
माँ, माँ परमात्मा की स्वयं एक गवाही है,
माँ, माँ त्याग है, तपस्या है, सेवा है,
माँ, माँ फूँक से ठँडा किया हुआ कलेवा है,
माँ, माँ अनुष्ठान है, साधना है, जीवन का हवन है,
माँ, माँ जिंदगी के मोहल्ले में आत्मा का भवन है,
माँ, माँ चूडी वाले हाथों के मजबूत कं धों का नाम है,
माँ, माँ काशी है, काबा है और चारों धाम है,
माँ, माँ चिंता है, याद है, हिचकी है,
माँ, माँ बच्चे की चोट पर सिसकी है,
माँ, माँ चुल्हा-धुँआ-रोटी और हाथों का छाला है,
माँ, माँ जिंदगी की कड़वाहट में अमृत का प्याला है,
माँ, माँ पृथ्वी है, जगत है, धूरी है,
माँ बिना इस सृष्टि की कल्पना अधूरी है,
तो माँ की ये कथा अनादि है,
ये अध्याय नही है
और माँ का जीवन में कोई पर्याय नहीं है,
तो माँ का महत्व दुनिया में कम हो नहीं सकता,
और माँ जैसा दुनिया में कुछ हो नहीं सकता,
माँ, माँ मरूथल में नदी या मीठा सा झरना है,
माँ, माँ लोरी है, गीत है, प्यारी सी थाप है,
माँ, माँ पूजा की थाली है, मंत्रों का जाप है,
माँ, माँ आँखों का सिसकता हुआ किनारा है,
माँ, माँ गालों पर पप्पी है, ममता की धारा है,
माँ, माँ झुलसते दिलों में कोयल की बोली है,
माँ, माँ मेहँदी है, कुमकुम है, सिंदूर है, रोली है,
माँ, माँ कलम है, दवात है, स्याही है,
माँ, माँ परमात्मा की स्वयं एक गवाही है,
माँ, माँ त्याग है, तपस्या है, सेवा है,
माँ, माँ फूँक से ठँडा किया हुआ कलेवा है,
माँ, माँ अनुष्ठान है, साधना है, जीवन का हवन है,
माँ, माँ जिंदगी के मोहल्ले में आत्मा का भवन है,
माँ, माँ चूडी वाले हाथों के मजबूत कं धों का नाम है,
माँ, माँ काशी है, काबा है और चारों धाम है,
माँ, माँ चिंता है, याद है, हिचकी है,
माँ, माँ बच्चे की चोट पर सिसकी है,
माँ, माँ चुल्हा-धुँआ-रोटी और हाथों का छाला है,
माँ, माँ जिंदगी की कड़वाहट में अमृत का प्याला है,
माँ, माँ पृथ्वी है, जगत है, धूरी है,
माँ बिना इस सृष्टि की कल्पना अधूरी है,
तो माँ की ये कथा अनादि है,
ये अध्याय नही है
और माँ का जीवन में कोई पर्याय नहीं है,
तो माँ का महत्व दुनिया में कम हो नहीं सकता,
और माँ जैसा दुनिया में कुछ हो नहीं सकता,
******" माँ ******
किन शब्दों में दूँ परिभाषा ,
" माँ "तुम हो सबकी आशा .
खुशियों का संसार हो तुम,
प्रेम का आगार हो तुम,
घर आँगन को रोशन करती,
सूरज की दमकार हो तुम.
किन शब्दों में दूँ परिभाषा,
" माँ " तुम हो सबकी आशा.
ममता का सम्मान हो तुम,
संस्कारों की जान हो तुम,
स्नेह,प्यार और त्याग की,
इकलौती पहचान हो तुम.
किन शब्दों में दूँ परिभाषा
" माँ "तुम हो सबकी आशा .
खुशियों का संसार हो तुम,
प्रेम का आगार हो तुम,
घर आँगन को रोशन करती,
सूरज की दमकार हो तुम.
किन शब्दों में दूँ परिभाषा,
" माँ " तुम हो सबकी आशा.
ममता का सम्मान हो तुम,
संस्कारों की जान हो तुम,
स्नेह,प्यार और त्याग की,
इकलौती पहचान हो तुम.
किन शब्दों में दूँ परिभाषा
सफलता
सफलता वह फल है, जो मनुष्य की सम्पूर्ण चतुराई, ईमानदारी और परिश्रम के बल पर प्राप्त की जा सकती है..
Thursday, May 10, 2012
मुस्कराते रहिये..
कुछ लोगों की आदत ही ऐसी पड़ जाती है, कि जहाँ भी जायेंगे, अपने दुखों का, अभावों का, मुसीबतों का रोना ही रोयेंगे..
लेकिन याद रखिये.. रोने वाले के साथ दुनिया कभी नहीं रोती, हंसने वाले के साथ हंसती जरुर है...
इसलिए हमेशा मुस्कराते रहिये..
लेकिन याद रखिये.. रोने वाले के साथ दुनिया कभी नहीं रोती, हंसने वाले के साथ हंसती जरुर है...
इसलिए हमेशा मुस्कराते रहिये..
अपना हिन्दी क,ख,ग,घ भी बहुत कुछ सिखाता है
अपना हिन्दी क,ख,ग,घ भी बहुत कुछ सिखाता है •❥♥❥❥
क – कहता है कलेश ना करो
ख – कहता है खराब ना करो
ग – कहता है गर्व ना करो
घ – कहता है घमंड ना करो
च – कहता है चिँता ना करो
छ – कहता है छल से दुर रहो
ज – कहता है जवाबदारी निभाओ
झ – कहता है झगडा ना करो
ट – कहता है टीका ना करो
ठ – कहता है ठगाई ना करो
ड – कहता है कभी डरपोक ना बनो
ढ – कहता है कभी भी 'ढ' ना बनो
त– कहता है किसी को तुच्छकारो नही
थ – कहता है थखो नही
द – कहता है दिलदार बनो
ध – कहता है धोखा ना करो
न – कहता है नम्र बनो
प – कहता है प्रेमालु बनो
फ – कहता है फुलाई ना जाओ
ब – कहता है बिगाड ना करो
भ – कहता है भाररुप ना बनो
म – कहता है मधुर बनो
य – कहता है यशस्वी बनो
र – कहता है रोना मत
ल – कहता है लोभी ना बनो
व – कहता है वेर ना रखो
श – कहता है किसी को शत्रु ना मानो
स – कहता है हमेशा सच बोलो
ष – कहता है हमेशा षट्काय के जीव कि रक्षा करो
ह – कहता है हमेशा हसते रहो
क्ष – कहता है क्षमा करना सीखो...! ♥♥
क – कहता है कलेश ना करो
ख – कहता है खराब ना करो
ग – कहता है गर्व ना करो
घ – कहता है घमंड ना करो
च – कहता है चिँता ना करो
छ – कहता है छल से दुर रहो
ज – कहता है जवाबदारी निभाओ
झ – कहता है झगडा ना करो
ट – कहता है टीका ना करो
ठ – कहता है ठगाई ना करो
ड – कहता है कभी डरपोक ना बनो
ढ – कहता है कभी भी 'ढ' ना बनो
त– कहता है किसी को तुच्छकारो नही
थ – कहता है थखो नही
द – कहता है दिलदार बनो
ध – कहता है धोखा ना करो
न – कहता है नम्र बनो
प – कहता है प्रेमालु बनो
फ – कहता है फुलाई ना जाओ
ब – कहता है बिगाड ना करो
भ – कहता है भाररुप ना बनो
म – कहता है मधुर बनो
य – कहता है यशस्वी बनो
र – कहता है रोना मत
ल – कहता है लोभी ना बनो
व – कहता है वेर ना रखो
श – कहता है किसी को शत्रु ना मानो
स – कहता है हमेशा सच बोलो
ष – कहता है हमेशा षट्काय के जीव कि रक्षा करो
ह – कहता है हमेशा हसते रहो
क्ष – कहता है क्षमा करना सीखो...! ♥♥